Tuesday, 22 November 2016

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Wednesday, 12 October 2011

शिक्षा का अधिकार के लिए सरकार जल्द नियम बनाए


शिक्षा का अधिकार के लिए सरकार जल्द नियम बनाए
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : शिक्षा का अधिकार कानून को पूरी तरह लागू करने के लिए बनाए जाने वाले कुछ नियमों के संबंध में तैयार ड्राफ्ट को जल्द पास करके निर्धारित समय में अधिसूचना जारी करने की मांग करते हुए सोशल ज्यूरिस्ट ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। इस पर इसी सप्ताह सुनवाई हो सकती है। सोशल ज्यूरिस्ट ने याचिका में कहा है कि इस संबंध में पहले भी याचिका दायर की गई थी, जिस पर सुनवाई के दौरान दस अगस्त को दिल्ली सरकार ने बताया था कि इन नियमों के संबंध में तैयार ड्राफ्ट को जल्द ही कैबिनेट में पेश किया जाएगा, उसके बाद अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। इस दलील को स्वीकार करते हुए जज ने कहा था कि वह आशा करते हैं कि सरकार इसे जल्द ही लागू कर देगी, परंतु दो माह का समय बीत चुका है और अभी तक अधिसूचना जारी नहीं की गई है। इससेच्बच्चों के शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन हो रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि एक अप्रैल 2010 को शिक्षा का अधिकार कानून बना था, जिसे पूरी तरह लागू करने के लिए सरकार को कुछ नियम बनाकर अधिसूचना जारी करनी थी। इसके लिए जून 2010 में एक ड्राफ्ट बनाया गया था, परंतु उससे आगे सरकार ने कोई काम नहीं किया। इसलिए सरकार को निर्देश दिया जाए कि जल्द से जल्द उस ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर लागू करवाया जाए।

12 हजार से ज्यादा टीचर होंगे भर्ती

12 हजार से ज्यादा टीचर होंगे भर्ती


12 Oct 2011, 0200 hrs IST,नवभारत टाइम्स  
भूपेंद्र ॥ नई दिल्ली 
दिल्ली सरकार के स्कूलों में टीचर्स की कमी एक बड़ी समस्या बन चुकी है, लेकिन अब बड़े स्तर पर टीचर्स की भर्ती का अभियान शुरू होगा। सरकारी स्कूलों में टीचर्स के 12313 नए पदों को हरी झंडी दे दी गई है। उपराज्यपाल की मंजूरी के बाद शिक्षा निदेशालय ने टीचर्स के नए पदों से संबंधित महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है और हर पद का ब्यौरा दिया गया है।

खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों में कहने को तो स्टूडेंट्स कंप्यूटर की पढ़ाई करते हैं, लेकिन अभी तक किसी स्कूल में कंप्यूटर साइंस का रेगुलर टीचर नहीं था। कॉन्ट्रैक्ट पर टीचर रखे जाते थे और इनकी भारी कमी थी। लेकिन अब इनके स्थायी पदों को भी बनाया गया है। टीजीटी (कंप्यूटर साइंस) के 2026 और पीजीटी (कंप्यूटर साइंस) के 788 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। स्कूलों में 11वीं व 12वीं में कंप्यूटर सब्जेक्ट की पढ़ाई के लिए पीजीटी व दसवीं तक के लिए टीजीटी के स्थायी पद होंगे। इसी तरह से शिक्षा विभाग में पहली बार लॉ ऑफिसर व लीगल असिस्टेंट के पद भी लाए गए हैं।

गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स असोसिएशन (जीएसटीए) कई साल से टीचर्स के नए पदों की मांग को लेकर संघर्ष कर रही थी। असोसिएशन के प्रेजिडेंट ओम सिंह और सेक्रेटरी डी. के. तिवारी का कहना है कि छह-सात सालों में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों स्टूडेंट्स की संख्या 8 लाख से बढ़कर 15 लाख हो गई है। राइट टु एजुकेशन एक्ट लागू होने के कारण स्कूलों में टीचर्स की कमी को देखते हुए नए पद बनाया जाना जरूरी था। असोसिएशन ने कहा है कि भर्ती प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू होनी चाहिए ताकि मौजूदा सेशन में ही स्टूडेंट्स को फायदा मिल सके। राइट टु एजुकेशन एक्ट के मुताबिक एक क्लास में 35 से ज्यादा स्टूडेंट्स नहीं होने चाहिए, जबकि अभी कई सरकारी स्कूलों में तो एक क्लास में 100-100 स्टूडेंट्स हैं।

दिल्ली कैबिनेट ने इसी साल 14 मार्च को नए पदों के सृजन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। अब 7 अक्टूबर को निदेशालय ने हर पद का ब्यौरा देते हुए नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसके मुताबिक पीजीटी के 3777, टीजीटी के 3760, प्रिंसिपल के 193, लैब असिस्टेंट के 469, असिस्टेंट टीचर (नर्सरी) के 131, लाइब्रेरियन के 277 और वर्क एक्सपीरियंस्ड टीचर के 892 नए पद सृजित किए गए हैं। सरकार ने शिक्षकों के नए पदों के साथ-साथ शिक्षा विभाग में अधिकारियों के मौजूद पदों के अतिरिक्त कुछ नए पदों का सृजन किया है। अधिकारियों के कुल 696 पद सृजित हुए हैं, इनमें लॉ ऑफिसर के पद भी शामिल हैं। शिक्षा विभाग में अदालती मामलों को देखने के लिए पहली बार लॉ ऑफिसर व लीगल असिस्टेंट के 24 नए पद दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले में अब एक के बदले दो डिप्टी डायरेक्टर होंगे। इनमें एक को प्रशासनिक तथा दूसरे को अकैडमिक काम सौंपे जाएंगे। इसके लिए 17 नए पद बने हैं।

Monday, 10 October 2011

नगर निगम बेवसाइट से शिक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां गायब

नगर निगम बेवसाइट से शिक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां गायब


नगर निगम बेवसाइट से शिक्षा से जुड़ी तमाम जानकारियां गायब
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता :नगर निगम की बेवसाइट से शहादरा उत्तरी व दक्षिणी जिले की अधिकतर निगम विद्यालयों से संबंधित जानकारियां गायब हैं। जिससे शिक्षा से जुड़ी जानकारियों को आनलाइन उपलब्ध कराने व नामांकन प्रक्रिया को कंप्यूटरीकृत किए जाने संबंधी नगर निगम का दावा फेल होता नजर आ रहा है। शाहदरा उत्तरी व दक्षिणी जोन के अंतर्गत आने वाले अधिकतर नगर निगम विद्यालयों से संबंधित जानकारियां विभाग की बेवसाइट से गायब हैं। कुछ जानकारियां हैं भी, तो वह स्पष्ट नहीं हैं। नतीजतन निगम विद्यालयों से संबंधित जानकारी आनलाइन प्राप्त करने में लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। यमुनापार इलाके के कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि यह समस्या कई दिनों से बनी हुई है। बेवसाइट से अधिकतर विद्यालयों के शिक्षको की सूची, विद्यालयों में पढ़ाए जाने वाले विषयों, छात्र-छात्राओं के बीच अनुपात, अवकाश से संबंधित जानकारी व विद्यार्थियों की श्रेणी से संबंधित अनुपात आदि की सूचियां गायब हैं।उल्लेखनीय है कि पूर्वी दिल्ली के उत्तरी व दक्षिणी जोन को मिलाकर क्षेत्र में निगम विद्यालयों की संख्या लगभग 383 है।

Tuesday, 4 October 2011

अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों पर एमसीडी मेहरबान

अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों पर एमसीडी मेहरबान 
चुनावी तैयारी 
दो लाख रुपए कमाने वाला अल्पसंख्यक भी माना जाएगा गरीब, अन्य राज्यों के एससी-एसटी बच्चों को भी छात्रवृत्ति 
भास्कर न्यूजत्न नई दिल्ली
चुनावी वर्ष में दिल्ली नगर निगम ने चुनावी घोषणाएं भी करनी शुरू कर दी हंै। राजधानी में महज छह महीने बाद एमसीडी चुनाव होने जा रहे हंै और इसके मद्देनजर एमसीडी राजधानी के कुछ खास वर्ग के गरीब बच्चों को विशेष राहत देने जा रही है। इसी क्रम में एमसीडी अब अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों के अभिभावकों की गरीबी रेखा का निर्धारण एक लाख रुपए से बढ़ाकर दो लाख रुपए करने जा रही हैै।

अब तक एक लाख रुपए प्रतिवर्ष कमाने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के अभिभावकों को ही एमसीडी गरीब मानती रही है और उन्हीं के बच्चों को प्रति वर्ष एक हजार रुपए छात्रवृत्ति दी जाती है, लेकिन अब इसे बढ़ाकर दो लाख रुपए किया जाएगा। इसके अलावा, अब 50 फीसदी से कम अंक प्राप्त करने वाले अल्पसंख्यक वर्ग के बच्चों को भी छात्रवृत्ति दी जाएगी। इस बाबत दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बकायदा एमसीडी को पत्र लिखकर इसे जल्द से जल्द लागू करने का निर्देश भी दिया है। हालांकि, राजधानी में अल्पसंख्यक वर्ग के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लोग भी काफी तादाद में रहते हैं और उनके बच्चे भी बड़ी संख्या में एमसीडी के विद्यालयों में अध्ययनरत हैं, लेकिन उनकी गरीबी रेखा के लिए वर्तमान में निर्धारित की जा रही न्यूनतम वेतन में फिलहाल किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है। अन्य पिछड़ा वर्ग के अभिभावकों की न्यूनतम वेतन अभी भी महज 44500 रुपए प्रतिवर्ष रहेगी। अल्पसंख्यक वर्ग के अलावा एमसीडी अनुसूचित जाति-जनजाति के लोगों पर भी मेहरबानी दिखाने जा रही है। एमसीडी में शिक्षा समिति के अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नागपाल के मुताबिक अब एमसीडी विद्यालयों में अन्य राज्यों के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के बच्चों को भी एमसीडी द्वारा छात्रवृत्ति दी जाएगी। अब तक एमसीडी केवल दिल्ली के अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के बच्चों को ही छात्रवृत्ति का लाभ दे रही है।